Thursday, October 29, 2015

बिगुल बज गया साथियों, उठो अब संगठित होकर सड़को को पे आ जाओ रे

अपनी इज्जत अपनी अस्मत
अपनी लाज बचाऔ. रे,.
दूर खड़े क्या सोच रहे हो
सड़कौं पर आ जाऔ. रे ,
आग लगी है कहीं दूर तो
घर तक भी आ सकटी है ,
आज बिरादर झुलस रहा
कल तुमको झुलसा सकती है,,
उठो संघठित होकर के सब
भड़़की आग बुझाऔ. रे
दूूर खड़े क्या सोच रहे हो
सड़कौं पर आ जाऔ रे
कुत्ते बिल्ली समझ के हमको
आतातायी मार. रहे
कायर बन कर छुुपे घरौं मै
हम बैठे फुफकार रहे,
दलने पिसने सेे अच्छा है
मिट्टटी मै मिल जाऔ रेे
दूूर खड़े क्या सोच रहेे हो
सड़कौं पर आ जाऔ रे
रोक नही सकती है हम पर
होते अत़्याचारौ को
वोट. बल पर धूल चटादो
इन ज़ालिम सरकारौ को
न्याय मिलेेगा तब ही जब
अपनी सरकार बनाऔ रे
दूर खडे क्या सोच हो
सड़कौं पर आ जाऔ रेे
रोक सको तो बढ़ कर रोको
ख़ून के जिम्मेदारौ को
रोको,रे़ाको दलित वर्ग पर
बढ़ते अत़्याचारौ को
उठोे संघठित आँधी बनकर
अम्बर तक छा जाऔ रेे
दूर खड़े क्या ताक रहे हो
सड़कौ पर आ जाओ रे,,,
��जय भीम��

एक मित्र की फ़ेसबुक वाल से

No comments:

Post a Comment