Wednesday, November 4, 2015

प्रोन्नति में आरक्षण सम्बंधी बिल लोकसभा में पारित कराने हेतु अनुसूचित जाति/जनजाति के लोकसभा सांसदों को लिखे जाने वाला पत्र !


सेवा में,
                        श्री/कु०/श्रीमती --------------------------जी
                        सांसद
                        भारत सरकार नई दिल्ली!
विषय :- प्रोन्नति में आरक्षण सम्बन्धी बिल {117 वां संविधान संसोधन} लोकसभा में पारित कराने के सम्बन्ध में ! 
महोदय/महोदया,
                        उपरोक्त विषयक आप अवगत ही होंगे कि प्रोन्नति में आरक्षण सम्बन्धी बिल {117 वां संविधान संसोधन} पूर्व में ही भारत की संसद के एक अंग राज्य सभा में पारित हो चुका है जबकि लोकसभा में पारित किया जाना अभी बाकी है ! राज्य सभा में उक्त बिल के पारित हो जाने के बावजूद लोकसभा में पारित न होने के कारण उक्त बिल की कोई साथर्कता नहीं है ! जिस कारण उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जाति/जनजाति के लगभग दो लाख अधिकारी व कर्मचारी पदावनत कर दिए गए हैं तथा अन्य राज्यों में भी उक्त प्रक्रिया की तैयारी है ! इसके आलावा ऐसा प्रतीत हो रहा है कि अनुसूचित जाति/जनजाति के लोगो की उन्नति के विरोधियों की मंशा के अनुरूप कुछ ही दिनों में अनुसूचित जाति/ जनजाति की समस्त अथवा आंशिक रूप से  कुछ उपजातियों के लोगो को सरकारी नौकरियों एवं राजनैतिक आरक्षण से भी वंचित कर दिया जायेगा ! आप जानते ही होंगे कि 24 सितम्बर 1932 को भारतीय संविधान निर्माता डॉ० भीमराव आंबेडकर और श्री मोहनदास करमचंद गांधी के मध्य हुए पूना समझौते के तहत अंग्रेजों द्वारा प्रदान किये गए दोहरे मताधिकार के बदले में अनुसूचित जाति/जनजाति के लोगो को आरक्षण का अधिकार दिया गया था !
                        चूँकि आप लोकसभा की उन आरक्षित सीटों से सांसद चुने गए हैं, जिन सीटों पर भारत के संविधान में निहित अनुसूचित जाति/जनजाति के लोगो को राजनैतिक आरक्षण का संरक्षण प्राप्त है, अर्थात आप अनुसूचित जाति/जनजाति के लोगो के प्रतिनिधि के रूप में भारत की संसद में सांसद चुने गए हैं ! हमें आपको यह स्मरण कराने की आवश्यकता नहीं होती यदि आपके उक्त महत्वपूर्ण पद पर विराजमान होने के बावजूद अनुसूचित जाति/जनजाति के लोगो के वांछित और वाजिब अधिकारों पर कुठाराघात न किया गया होता, लेकिन लोकसभा में अनुसूचित जाति/जनजाति के प्रतिनिधि के रूप में आपकी मौजूदगी के बावजूद अनुसूचित जाति/जनजाति के लोगो को उनके वांछित और वाजिब अधिकारों से वंचित किया जा रहा है ! इसी परिपेक्ष्य में मा० सर्वोच्च न्यायलय के एक आदेश को आधार मानकर सरकारी नौकरियों में प्रमोशन में आरक्षण के अधिकार को समाप्त मानकर उत्तर प्रदेश में अनुसूचित जाति/जनजाति के अधिकारीयों/कर्मचारियों की पदावनति कर दी गई है ! जिससे इस वर्ग के अधिकारीयों/कर्मचारियों को गहरा आघात पहुंचा है और मनोबल टूटा है ! यह भी विदित हो कि उक्त प्रक्रिया अन्य राज्यों में भी अपनाई जाने की प्रबल सम्भावना बन गई है ! जिसे समय रहते नहीं रोका गया तो अनुसूचित जाति/जनजाति के लोगों को अपने ही देश में अपने अधिकारों से विरत कर गुलामी की जिन्दगी जीने के लिए मजबूर कर दिया जायेगा !
                        अतः भारत के मूलनिवासी अनुसूचित जाति/जनजाति समाज को प्रदत्त संवैधानिक अधिकारों को संरक्षित करने हेतु आपसे अनुरोध है कि प्रोन्नति में आरक्षण सम्बन्धी बिल {117 वां संविधान संसोधन} जो राज्यसभा में पहले ही पारित किया जा चुका है, को लोकसभा में पारित कराने का अपने स्तर से प्रतिएक प्रयत्न करने का कष्ट करे ! प्रयत्न करने के बावजूद यदि आप उक्त बिल पारित कराने में सफल नहीं हो पाते हैं, तो आप कृपया सांसद पद से त्यागपत्र देकर समाज के मध्य आ जाये और समाज के साथ सड़क पर संघर्ष करने में अपनी भूमिका निभाने का कष्ट करे !
आदर सहित !
भवदीय,
हस्ताक्षर--------------------
नाम ------------------------
पता -------------------------
मोबाइल न० -----------------
जनहित में प्रस्तुति :- भारतीय मूलनिवासी संगठन,  आदेश नागोरी, मोबाइल न० 9719304041  
नोट :- 1- कृपया इस पत्र को अनुसूचित जाति/जनजाति के सभी सांसदों/अपने क्षेत्र के सांसदों को लिखकर भेजने का कष्ट करे ! अन्य सभी सामाजिक संगठनो के पदाधिकारियों/प्रतिनिधियों से भी अनुरोध है कि वे भी अपने-अपने लेटर पैड पर उक्त पत्र लिखकर भेजने का कष्ट करे ! विदित रहे कि आजादी से पूर्व हमारे समाज के जागरूक लोगो ने दोहरे मताधिकार को प्राप्त करने हेतु इसी प्रकार का पत्र अंग्रेजो और डॉ० भीमराव आंबेडकर को भेजा था ! तभी हमें दोहरा मताधिकार प्राप्त हुआ था ! 
2- यदि उपरोक्त पत्र से आप सहमत हो तो फेसबुक/ट्विटर/whatsapp पर अपने सभी मित्रो और ग्रुपों में इसे शेयर जरुर करने का कष्ट करे !
3- इस पत्र की कोपी करने में आपको जरा सा कष्ट तो होगा ही साथ में कुछ पैसे भी लगेंगे ! लेकिन आपका यह एक पत्र ही हमें अपना खोया हुआ अधिकार वापस दिला सकता है ! 
मंजिल वही----------सोच नई !  हम होंगे कामयाब -------------------एक दिन !  
जय भीम, जय भारत, जय मूलनिवासी ! 

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